कविता.... रात

रात... रात अंधियारी रोशन उजाला फिर भी मुझको तुम याद आते तारा चमक चमक कर आकाश को भर देते हो रात को मानो सुबह कर देते हो काली अंधियारी में भी चम चम कर चमकते मानों ऐसा लगता अंधेरे में एक रोशन उजाला भर देते रोशनी से टिमटिमाते हो अंधियारी रात में तुम एक सितारा कहलाते हो। - जया पंत